उत्तर प्रदेश
जैन विद्या शोध संस्थान
उत्तर प्रदेश जैन विद्या शोध संस्थान की स्थापना 31 जनवरी, 1991 में संस्कृति विभाग, उ0प्र0 के अधीन स्वायत्तशासी संस्था के रूप में की गई है। संस्थान का मुख्य उद्देश्य भारत के विभिन्न भागों में प्रचलित जैन विधाओं का राष्ट्रीय सन्दर्भ में अध्ययन एवं तत्सम्बन्धी शोध करना तथा तीर्थंकरों की सांस्कृतिक महत्व की परम्परागत एवं आधारभूत मान्यताओं, मानवीय मूल्यों एवं कला कौशल का संरक्षण करना है। संस्थान द्वारा परिचर्चा, परिगोष्ठी, व्याख्यान, सम्मेलन, संगोष्ठी एवं राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनार आदि आयोजित करना। जैन धर्म से सम्बन्धित विभिन्न पर्वों पर व्याख्यान माला, संगोष्ठी, वाद-विवाद प्रतियोगिता, पेंटिंग प्रतियोगिता, निबन्ध प्रतियोगिता आदि का आयोजन करना।
उत्तर प्रदेश
- जैन विद्या शोध संस्थान के कार्य एवं उद्देश्य
संस्थान का उद्देश्य भारत के विभिन्न भागों में प्रचलित जैन विधाओं का राष्ट्रीय संदर्भ में अध्ययन तथा तत्सम्बन्धी शोध करना है। इसके अतिरिक्त जैन तीर्थकर की आधारभूत मान्यताओं, मानवीय मूल्यों, कला अवशेषों का संरक्षण एवं उन्हें बिकृत होने से बचाना है।
संस्थान द्वारा कवि सम्मेलन, जैन संस्कृति पर आधारित व्याख्यान माला जैन धर्म पर लघु संगोष्ठी, “जैन विद्या के विविध आयाम” नामक विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी, ‘‘अहिंसा और पर्यावरण विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी विश्व मैत्री सेवा सम्मान समारोह के अवसर पर राष्ट्रीय संगोष्ठी, आज की समस्या और तीर्थंकर महावीर जैन नामक विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी वाद-विवाद प्रतियोगिता तथा पुरस्कार वितरण, भगवान महावीर जयंती के उपलक्ष्य में संगोष्ठी एवं भजन संध्या आदि का आयोजन करवाया जा चुका है।
संस्थान का अपना एक पुस्तकालय है जिसमें लगभग 3500 दुर्लभ ग्रन्थ पुस्तकें एवं पत्र-पत्रिकाएं संग्रहीत है। पुस्तकालय में जैन धर्म-दर्शन, कला संस्कृति, मूर्तिकला, इतिहास एवं शब्दकोश आदि के संदर्भ ग्रन्थ उपलब्ध है। संस्थान का यह पुस्तकालय कार्य दिवस के दिनों में शोधार्थियों एवं जैन विद्वानों तथा पाठकों के लिए निःशुल्क अध्ययनार्थ खुला रहता है।
प्रबंधन
जैन विद्या शोध संस्थान
प्रवेश के बारे में और जानें
प्रकाशन
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संस्थान के प्रकाशन
- अभिनन्दन-2021
- हिन्दी साहित्य के उन्नायक साहित्यकार पंडित टोडरमल-2022
- महावीर दर्शन-2022
- संस्थान द्वारा चुने गये शोध पत्रों को ‘हिन्दी जैन साहित्य परम्परा और सरोकार‘ नामक पुस्तक में प्रकाशित किया गया।
- ‘जैन धर्म संस्कृति के विविध आयाम‘ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में आमंत्रित शोध पत्रों को ‘विमर्श ‘ नामक पुस्तक में प्रकाशित किया गया।
- सम्भव वार्षिक पत्रिका 2019
शिक्षण कार्यः
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शिक्षण कार्यः
- अभिनन्दन-2021
- हिन्दी साहित्य के उन्नायक साहित्यकार पंडित टोडरमल-2022
- महावीर दर्शन-2022
- संस्थान द्वारा चुने गये शोध पत्रों को ‘हिन्दी जैन साहित्य परम्परा और सरोकार‘ नामक पुस्तक में प्रकाशित किया गया।
- ‘जैन धर्म संस्कृति के विविध आयाम‘ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में आमंत्रित शोध पत्रों को ‘विमर्श ‘ नामक पुस्तक में प्रकाशित किया गया।
- सम्भव वार्षिक पत्रिका 2019
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